तुम्ही कहो के हम बतलाएं क्या...?
लाइफ एक कतार है शहरों की... जबलपुर, इंदौर, जयपुर, अजमेर, जोधपुर, मेरठ, नॉएडा, मुंबई... और भी शहर हैं. जहाँ रहा नही पर घूमा. सड़कें छूट गई पर यादें बाकी हैं. कई सालों घूमते हुए इन सड़कों और शहरों में कोई कहानी हाथ लगी और अब एक कहानी की बुक आईने सपने और वसंतसेना २००८ में छ़प कर आई है.
सब पढ़ें, सब बढ़ें... Aaine sapne aur vasantsena... hindi short stories by Ravi Buleiy. Published by Bharatiya Jnanpith. Price Rs. 120 only
Pustak vimochan
feb 3, 2008. new delhi
Parsai PrasanG
मुझे बहुत सपने आते हैं। मैं देखता हूं-भूखे बिलबिला रहे हैं। मजदूरी पूरी नहीं मिलती। मिलती है, तो दाना नहीं मिलता। मिलता है, तो महंगा मिलता है। महंगा मिलता है, तो उसमें न जाने क्या क्या कचरा मिला रहता है। भूखे और अधमरे चिल्लाते हैं-रोटी नहीं, तो उत्सव काहे का...?