Saturday, September 13, 2008

वक्त वक्त की बात


किसी जमाने में फिल्म समीक्षकों और फिल्म मीडिया को दुश्मन की निगाहों से देखने वाले प्रोड्यूसर अब उनकी तारीफ को अपने लिए मैडल की तरह लिए घूम रहे हैं। मामला है एक्सल एंटरटनेमेंट नाम की कंपनी वालों का, जिन्होंने दो साल पहले शाहरुख खान को लेकर 'डॉन' बनाई थी। उस वक्त समीक्षकों ने 1978 की 'डॉन' (अमिताभ बच्चन) की इस रीमेक की धज्जियां उड़ा दी थीं। तब प्रोड्यूसरों तथा डायरेक्टर फरहान अख्तर समेत शाहरुख के चेहरे से रौनक गायब हो गई थी। चारों ओर होने वाली आलोचनाओं से तिलमिलाए प्रोड्यूसरों-डायरेक्टरों और ऐक्टर ने मिल कर तत्काल मीडिया में एक बड़ा-सा, बहुचर्चित विज्ञापन रिलीज किया था। जिसकी टैग लाइन थी, 'डॉन के क्रिटिक्स की सबसे बड़ी गलती ये है कि वे डॉन के क्रिटिक हैं।' परंतु अब वक्त बदल गया है। इसी प्रोड्क्शन हाउस की फिल्म 'रॉक ऑन' कुछ दिनों पहले रिलीज हुई है और महानगरीय संस्कृति में पले-बढ़े चुनिंदा समीक्षकों ने इसकी तारीफ में कुछ पंक्तियां लिख दी हैं। परिणाम यह कि इन पंक्तियों को प्रोड्यूसरों ने फिल्म की रिलीज के बाद के विज्ञापनों में इस्तेमाल किया है, ताकि दर्शकों को आकर्षित कर सकें। जबकि हकीकत यह है कि फिल्म किसी लिहाज से देखने काबिल नहीं है। फिल्म में न तो ढंग का संगीत है और न ही ढंग की कहानी। परंतु 'मैट्रो' के चुनिंदा समीक्षकों की तारीफ को आधार बना कर प्रोड्यूसर दुनिया को बताने की कोशिश में लगे हैं कि वे एक महान फिल्म दर्शकों के बीच लाए हैं।वाकई समीक्षकों के बारे में राय बदलते फिल्म वालों को वक्त नहीं लगता। उनका पैमाना बहुत सरल है। यदि उनकी फिल्म को अच्छा लिख दिया, तो समीक्षक अच्छे, बुरा लिखा तो समीक्षक बुरे। हालांकि कुछ निर्माता-निर्देशक अपने को इन अच्छी-बुरी समीक्षकाओं से ऊपर उठा हुआ मानते हैं, परंतु इसमें संदेह नहीं कि समीक्षकों का भूत उन्हें अकेले में डराता है। उन्हें भले ही सैकड़ों लोग कहें कि उन्होंने बढिय़ा फिल्म बनाई है, परंतु वे एक समीक्षक की राय सुनने को उत्सुक रहते हैं। क्या उसे फिल्म पसंद आई...? यदि नहीं, तो उनका चैन खोते वक्त नहीं लगता। 'रॉक ऑन' से बढिय़ा उदाहरण नहीं हो सकता। जबकि दो साल पहले इन्हीं लोगों के लिए समीक्षक 'तुच्छ' थे। परंतु अब वे महत्वपूर्ण हो गए हैं और उनकी लिखी पंक्तियां फिल्म के पोस्टरों पर छापी जा रही हैं।असल में अमिताभ बच्चन हों, चोपड़ा कैंप हो, राम गोपाल वर्मा हों या फिर कोई शर्मा ही क्यों नहीं..., सबके लिए समीक्षकों की राय महत्व रखती है और वे सिर्फ तारीफ की उम्मीद करते हैं। 'रॉक ऑन' का ही अगला मामला यह है कि वे मीडिया से मदद की उम्मीद कर रहे हैं। संगीत की बिक्री से साप्ताहिक आंकड़े कह रहे हैं कि पिछले ही हफ्ते रिलीज हुए टी-सीरिज की फिल्म 'कर्ज' (हिमेश रेशमिया) के म्युजिक ने 'रॉक ऑन' को महानगरों की बिक्री में पछाड़ दिया है। अब एक ही हफ्ते में यह कैसे संभव है? 'रॉक ऑन' की टीम चाहती है कि मीडिया इसे मुद्दा बनाए, पर्दाफाश करे। ताकि उनकी फिल्म को चर्चा मिले और दर्शक फिल्म देखने जाएं। सचमुच यह बात कुछ हजम नहीं हुई।

Wednesday, September 10, 2008

तनुश्री का सेंसेक्स

यह सही है कि जिस डाल पर आप बैठे हैं, वह टूट भी सकती है। परंतु आश्चर्य तो तब हो, जब आप खुद ही उस डाल को काटने लगें, जिस पर बैठे हैं। कहते हैं कि कवि कालिदास ने कभी ऐसा ही किया था। परंतु तब वे मूर्ख शिरोमणि थे। लेकिन अब जबकि तनुश्री दत्ता यह काम कर रही हैं, उन्हें क्या कहा जाए? उनकी फिल्म 'सास बहू और सेंसेक्स' आने वाली है। परंतु तनुश्री इस फिल्म के बारे में बात करते हुए यह जरूर कहती हैं कि इस फिल्म की डायरेक्टर में इतनी काबीलियत नहीं कि वह हिट फिल्म दे सके। यह क्या बात हुई...? डायरेक्टर को फिल्म नाम के जहाज का कप्तान कहा जाता है। जब कप्तान में भरोसा ही नहीं था, तो तनुश्री ने यह सवारी क्यों की? कारण यह कि इस फिल्म के बहाने तनुश्री को इंटरनटेशनल प्रोड्यूसरों के साथ काम करने का मौका मिल रहा था। यह फिल्म हॉलीवुड कंपनी वार्नर ब्रदर्स ने बनाई है। फिल्म तैयार है और इन दिनों इसे लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रचार किया जा रहा है। परंतु तनुश्री के अनूठे अंदाज ने फिल्म से जुड़े लोगों की सांस आफत में डाल दी है। तनुश्री की बात पर भरोसा कर लें कि डायरेक्टर काबिल नहीं, तो तय है कि 'सास बहू और सेंसेक्स' बॉक्स ऑफिस पर डूब ही जाएगी! इस फिल्म को शोना उर्वशी ने डायरेक्ट किया है, जिनकी पहली फिल्म 'चुपके से' बुरी तरह फ्लॉप रही थी।यह कोई पहली बार नहीं कि ऐक्टर अपने डायरेक्टर से नाराज है। नाराजगी होती है, परंतु कम से कम फिल्म की रिलीज से पहले कोई उसे व्यक्त नहीं करता। पहले सारा फील गुड पेश किया जाता है। रिलीज के बाद गुड़ गोबर सामने आता है। ताजा उदाहरण मल्लिका शेरावत का है। वे 'मान गए मुगल-ए-आजम' की रिलीज से पहले संजय छैल को बेहतरीन निर्देशक बता रही थीं। परंतु अब वे पानी पी पी कर डायरेक्टर को कोस रही हैं। डायरेक्टर को अपने हुजूर में सफाई पेश करने तक का मौका नहीं दे रहीं। छैल के एसएमएस संदेशों का कोई जवाब मल्लिका की ओर से नहीं आ रहा।लेकिन तनुश्री के पारे का सेंसेक्स फिल्म की रिलीज से पहले ही उछल रहा है और वे जम कर उर्वशी की बुराई कर रही हैं। असल में, फिल्म की मेकिंग के दौरान ही दोनों में खटपट शुरू हो गई थी क्योंकि यह पूर्व मिस इंडिया, शोना के काम करने के तरीके से नाखुश थी। शोना ही बहन, मासूमी भी फिल्म में है। तनुश्री को पूरे वक्त यह लगता रहा कि शोना अपनी बहन के रोल पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं, उनके रोल पर नहीं। इर्ष्या की यह चिंगारी अब आग की तरह भडक़ रही है। वैसे तनुश्री का यह तीखी मिर्ची वाला अंदाज नया नहीं है। उनकी पहली फिल्म 'चॉकलेट' के डायरेक्टर, विवेक अग्निहोत्री से लेकर नाना पाटेकर जैसे सीनियर ऐक्टर और गणेश आचार्य जैसे कोरियोग्राफर तक तनुश्री से कई बार खरी खरी सुन चुके हैं। परंतु यह मौका थोड़ा अलग है। फिल्म की रिलीज से पहले ही वे उसका बंटाधार किए दे रही हैं! यदि बांगला ब्यूटी का यही अंदाज जारी रहा, तो उनके करियर के सेंसेक्स का तीर आखिर कब तक आसमान की दिशा मे नजर आएगा?

Thursday, September 4, 2008

बॉलीवुड का स्वर्णिम दौर


बॉलीवुड सिनेमा के आर्थिक पक्ष पर चर्चा करना अब वक्त खराब करने से कम नहीं। सही आंकड़े कोई प्रोडक्शन हाउस जारी नहीं करता। सितारे अपनी फीस झूठ बताते हैं। कमाते पंद्रह हैं, बताते पचास हैं। हिट का गणित भी ऐंद्रजालिक है...। जिस फिल्म को समीक्षक फ्लॉप बताते हैं, उसके रिलीज होने के दूसरे-तीसरे दिन ही शहरों में फिल्म के पोस्टर चिपके होते हैं, सुपर हिट!! क्या झूठ मानिए, क्या सच...? खुद सिनेमावाले इस पर एकमत नहीं दिखते। परंतु इसमें संदेह नहीं कि हिंदी सिनेमा ऐसे दौर से गुजर रहा है, जिसमें धन की बाढ़ आई हुई है, जो बिहार की जल-बाढ़ के विपरीत कहीं सुखदायी है। अत: अब सिनेमा के आर्थिक मसले की चर्चा हो, तो उसके सुखद पक्ष पर ही हो सकती है। वह भी अतिशयोक्ति की तरह। जितनी अतिशयोक्ति, उतनी बढिय़ा चर्चा। करोड़ का आंकड़ा अब फिल्म में निर्माण में अपना जादू खो चुका है। फिल्म मेकिंग में अब 25 और 50 के बाद फिल्में 100 करोड़ की बात करने लगी हैं। हालांकि अब भी यह हॉलीवुड से काफी कम बताया जाता है। बॉलीवुड जिस आर्थिक स्वर्णिम दौर से गुजर रहा है, उसे देखते हुए टे्रड पंडितों का यही मानना है कि वह दिन दूर नहीं, जब बॉलीवुड में हर साल कम से कम 50 से 100 ऐसी फिल्में बनेंगी, जो 50 से 100 करोड़ के बजट की होंगी। फिलहाल यह अतिशयोक्ति लगे, परंतु सचमुच ऐसा वक्त आने लगा है। कारण...? प्रोड्यूसर अब पूरी दुनिया में फैल चुके बॉलीवुड फिल्मों के बाजार को देख कर गणित बैठाते हैं। वह दौर नहीं रहा कि सिर्फ मुंबई में चलने से फिल्म हिट कहलाएगी।प्रोड्यूसरों ने फिल्मों की लागत क्षमता का बढऩा मंजूर किया है, तभी निर्देशकों, ऐक्टरों और तकनीशियनों की फीस बहुत मोटी हो चुकी है। मामला तो यहां तक है कि हिट होने के बाद डायरेक्टर और ऐक्टर फिल्म के निर्माण में मुनाफा हासिल करते हैं और कई बार खुद भी प्रोड्यूसर हो जाते हैं। निर्देशक आशुतोष गोवारिकर, मधुर भंडारकर, विशाल भारद्वाज कुछ चुनिंदा उदाहरण हैं। ऐक्टरों में देखें, तो शाहरुख खान, आमिर खान, सलमान खान, ऋतिक रोशन के बाद अब सैफ अली खान की फिल्म निर्माण में लग गए हैं। सभी सितारे फिल्मों में काम करने की मोटी फीस तो लेते हैं, साथ ही प्रोड्यूसर के मुनाफे में हिस्सा भी।रोचक तथ्य यह है कि फिल्म का निर्माण करने वालों में उन लोगों का भरोसा बढ़ा है, जो फिल्मों के लिए धन एडवांस में जारी करते हैं। बीच में वह वक्त चला गया था, जब वितरक निर्माणाधीन फिल्मों के रशेज देख कर प्रोड्ूयूसर को एडवांस पैसा देते थे। परंतु यह वक्त फिर लौट आया है। अब तो स्थिति यह है कि कुछ मामलों में फिल्म घोषित हुई और वितरक ने कई करोड़ में अधिकार खरीद लिए, विश्व वितरण के। क्या फिल्म बनेगी, कैसी बनेगी...? सोचा भी नहीं। हाल में बॉलीवुड में ऐसा सबसे बड़ा सौदा हुआ, जब वितरक कंपनी स्टूडियो 18 ने विपुल शाह के निर्देशन में बनने वाली फिल्म 'लंदन ड्रीम्स' (सलमान खान, अजय देवगन) के अधिकार 120 करोड़ रुपये में खरीदे। फिल्म शुरू भी नहीं हुई और प्रोड्यूसर ने मोटा मुनाफा कमा लिया। अब इससे बढ़ कर स्वर्णकाल की नजीर क्या हो सकती है?

Wednesday, September 3, 2008

क्या अक्षय हैं नए नं. 1


हालांकि अभी इसकी अधिकृत घोषणा नहीं हुई है। परंतु शाहरुख खान समझ चुके हैं कि अक्षय कुमार ने उनके किले में सेंध लगा दी है। यूं तो कोई भी सितारा नंबर गेम में प्रत्यक्ष रूप से भरोसा नहीं दिखाता। परंतु अंदर-अंदर सब सबकी खबर रखते हैं। 'सिंग इज किंग' की सफलता के बाद अक्षय तो छुट्टियां मनाने के लिए पत्नी और बच्चे समेत मोंटे कार्लो निकल गए हैं। परंतु इंडस्ट्री में एक खबर मक्खी की तरह भनभना रही है कि 'एक अव्वल ऐक्टर' है, जो अक्षय की फिल्म के कलेक्शन से लेकर अभिनेता के रूप में उनकी वास्तविक स्थिति को जानने के लिए जमीन-आसमान एक किए हुए है। वह फिल्म समीक्षकों को एसएमएसभेज रहा है और उनसे फोन पर बात कर रहा है। क्या वाकई अक्षय नंबर 1 तो नहीं हो गए? खैर, इस ऐक्टर के लिए राहत की बात यह है कि कम से कम इस साल तो अक्षय की कोई फिल्म आने को नहीं बची। 'चांदनी चौक टू चाइना' दिसंबर में रिलीज होने वाली थी, परंतु इस फिल्म के कुछ हिस्से फिर से शूट किए जाने हैं, इसलिए प्रोड्यूसरों ने इसे अगले साल सिनेमाघरों में उतारने का फैसला किया है।यह बात हर कोई मान रहा है कि पिछले कुछ सालों में अक्षय कॉमेडी, ऐक्शन और रोमांस तीनों ही में चैंपियन बन कर उभरे हैं। उनकी लोकप्रियता कई गुना बढ़ी हैं। वे उन सितारों की सूची में आ गए हैं, जो अपने अकेले दम पर किसी फिल्म को न केवल शानदार ओपनिंग दिला सकते है। बल्कि चला भी सकते हैं। किसी भी सितारे से और क्या उम्मीद की जाती है? दर्शकों के मनोरंजन के मामले में भी अक्षय सौ फीसदी खरे उतरे हैं। 'टशन' जैसी फिल्म नहीं भी चली, तो भी सबने यह माना कि जितने हिस्से में अक्षय नजर आते हैं, वहां फिल्म में जान रहती है। अब दर्शकों को अक्षय को देखने के लिए कुछ महीनों का इंतजार करना होगा। 2007 के बाद 2008 में भी अक्षय शानदार रहे हैं और उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले अपने ज्यादा भरोसेमंद होने को साबित किया। लगातार दो शानदार वर्षों के बाद अगले साल भी सबकी नजरें उन पर होंगी और हर कोई देखना चाहेगा कि क्या अक्षय सफल वर्षों की हैट्रिक लगा पाएंगे? ऐसा ना हो... इसकी कोई आशंका नजर नहीं आती क्योंकि अक्षय फिल्मों का जो लाइन-अप है, वह खुद-ब-खुद भविष्य का किस्सा बयान कर देता है।विश्वास करें कि सफलता के लिए अक्षय का थाल सजा है। आने वाले साल में भी वे दूसरे सितारों की नींद और चैन छीने रहेंगे। उनके पास 4 बड़ी फिल्में हैं, जो 2009 में आएंगी। ये हैं 'चांदनी चौक टू चाइना', 'कमबख्त इश्क', 'एट बाई टेन' और 'ब्लू'। इन फिल्मों में कॉमेडी, रोमांस, ऐक्शन... सब कुछ है। अक्षय के पास साजिद खान की 3 हीरोइनों वाली 'हाउसफुल' भी है और इम्तियाज अली की एक अनटाइटल्ड फिल्म में भी वही हीरो हैं। इसके अलावा दर्जनों प्रोड्यूसर-डायरेक्टर उनके दरवाजे पर कतार लगाए हुए हैं। छुट्टियों से लौटने के बाद अक्षय 'चांदनी चौक...' का बचा हुआ काम पूरा करेंगे। उसके बाद 'एट बाई टेन' की शूटिंग। साजिद की 'हाउसफुल' की शूटिंग अक्तूबर में शुरू होगी। अक्षय का शेड्यूल पैक है। जैसा कि किसी भी बड़े सितारे का होता है। उन्हें फुर्सत नहीं है यह जानने की कौन ऐक्टर मार्केट में उनकी साख के ताप को नापने वाला थर्मामीटर लिए घूम रहा है?