Saturday, August 30, 2008

रामू, कौवा और मल्लिका


फिल्म समीक्षक जितनी जोर से कह रहे हैं कि निर्देशक राम गोपाल वर्मा की 'फूंक' बुरी फिल्म है, रामू उतने जोर से फिल्म को दर्शकों की स्वीकृति मिलने का दावा कर रहे हैं। टे्रड विशेषज्ञ जब आंकड़े लहरा-लहरा कर कह रहे हैं कि रामू की फिल्म के कलेक्शन पहले ही दिन दो शो बाद औंधे मुंह गिरे, रामू उतने ही दमखम से कह रहे हैं कि उनकी 3 करोड़ की लागत वाली फिल्म ने पहले 3 दिनों में ही 5 करोड़ रुपये कमा लिए। कोई कुछ भी कहे, रामू ने फिल्म की सफलता की जोरदार पार्टी मुंबई में दे डाली है। वे बहुत खुश हैं कि आखिरकार टिकट खिडक़ी के गणित को उन्होंने अंगूठा दिखा दिया है। रामू अपनी हाजिर जवाबी और चुटीले जवाब देने के लिए शुरू से इंडस्ट्री में विख्यात हैं। 'फूंक' के बारे में पूछे जा रहे सवालों पर भी वे अपने अंदाज में बातें कर रहे हैं।इसी चुटीले अंदाज में रामू ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर परदे पर स्टार क्या चीज होती है? जवाब है, कुछ नहीं। यदि कहानी में दम है और आपमें दर्शकों को आकर्षित करने का माद्दा, तो स्टार भले ही कौवा क्यों न हो, फिल्म देखने के लिए लोग पहुंचते हैं। रामू की मानें, तो 500 रुपये प्रति शिफ्ट में लाया जाने वाला कौवा उनकी 'फूंक' का हीरो है। असल में रामू ने यह बात तब कही, जब उनसे फिल्म की रिलीज से पहले पूछा गया था कि आखिर मल्लिका शेरावत की 'मान गए मुगल-ए-आजम' का मुकाबला वे कैसे करेंगे? उनकी फिल्म में तो कोई स्टार नहीं है? तब रामू का जवाब था, 'मेरी फिल्म में कौवा है।' वाकई रामू के कौवे ने मल्लिका को काट खाया है! मल्लिका की फिल्म पानी भी नहीं मांग पाई। अब मल्लिका का इस डायरेक्टर से चिढ़ जाना स्वाभाविक है। वैसे मल्लिका काफी दिनों से रामू से खार खाए हैं। अपनी 'कॉन्टे्रक्ट' में रामू ने एक पुलिस वाला दिखाया था, जो मल्लिका की तस्वीर के सामने 'आपत्तिजनक और उत्तेजक' बातें करता है। मल्लिका का तर्क है कि उनके नाम को इस तरह इस्तेमाल करके रामू ने खराब किया। मल्लिका रामू को कोर्ट का नोटिस भेजने वाली थीं। परंतु जाने क्या सोच कर उन्होंने ऐसा नहीं किया। क्या वह सिर्फ मल्लिका का पब्लिसिटी स्टंट था?हालांकि पब्लिसिटी के दांव-पेंच चलने में रामू भी कुछ कम नहीं। उन्होंने कहा था कि जो उनकी फिल्म को सिनेमाघर के अंधेरे में अकेले बैठ कर देख लेगा, उसे 5 लाख का इनाम मिला। इस प्रतियोगिता के लिए चुन गए 5 लोगों को रामू और उनके प्रोड्यूसर ने पूरा हॉल खुद बुक करके अपना दमखम साबित करने को कहा। अब कोई क्यों खुद हॉल बुक कराता? रामू आखिरी वक्त पर गच्चा दे गए और प्रोड्यूसर के साथ मिल कर 5 लाख दबा गए। अब 'फूंक' के सीक्वल की बातें भी हो रही हैं। रामू तो इनकार कर रहे हैं। परंतु उनके प्रोड्यूसर ने अखबारों में सीक्वल का विज्ञापन दिया है और कहा है कि जो भी रामू को सीक्वल का सही आइडिये देगा... उसे 10 लाख रुपये का ईनाम मिलेगा। जब 5 लाख में बेईमानी हो गई, तो 10 लाख की क्या गारंटी? साहब, ये है फिल्मी चक्कर...!!

Friday, August 22, 2008

दीपिका के लिए कुछ पाठ


करियर की दूसरी फिल्म रिलीज हुई है और दीपिका पादुकोण के दिल से धुआं उठ रहा है। दो कारण हैं। एक तो समीक्षकों ने लिख दिया है कि उन्हें ऐक्टिंग के टे्रनिंग स्कूल में जाना चाहिए। दूसरे दर्शकों ने वह भाव नहीं दिए, जो 'ओम शांति ओम' में दिए थे। दीपिका को तत्काल समझ लेना चाहिए कि 'ओम...' की सफलता उनकी अपनी नहीं थी। उसके पीछे प्रोड्यूसर-स्टार शाहरुख खान और मार्केटिंग के खेल थे, जिन्होंने दीपिका को रातोंरात स्टार बनाया। असली परीक्षा अब शुरू हुई है। ग्लैमर की जो चकाचौंध थी, हालांकि वह यश चोपड़ा बैनर की फिल्म में थोड़ी बहुत अब भी बाकी है। परंतु इतनी चमक-दमक आखिर कितने प्रोड्यूसर मुहैया करा सकते हैं और फिर हर बार शाहरुख तथा चोपड़ाओं के नाम का जादू दीपिका के पक्ष में नहीं खड़ा हो सकता। इंडस्ट्री में माना जाता है कि किसी को भी उसकी पहली फिल्म से मत जांचो। सिनेमा में कुछ भी संभव है। पहली सफलता जादुई भी होती है और कई बार पहले का दबाव काम को खराब कर देता है। अत: अब दीपिका के लिए दूसरी फिल्म से उस द्वंद्व की शुरुआत हो चुकी है, जिसमें वह अपनी पहली फिल्म के बाद महीनों और सालों से मेहनत कर रही, दूसरी तारिकाओं से अचानक मीलों आगे खड़ी दिख रही थीं।'बचना ऐ हसीनो' की रिलीज के साथ दीपिका एक और मुश्किल का सामना कर रही हैं। वह यह कि लोग उनके बजाय बिपाशा बसु के साथ रणबीर की जोड़ी को पसंद कर रहे हैं। खुद रणबीर फिल्म के प्रमोशन में उछल-उछल कर कह रहे थे कि फिल्म की तीनों हसीनों में से बिपाशा सबसे सेक्सी है। दर्शक-समीक्षक उनकी बात पर मुहर लगा रहे हैं... और दीपिका कुछ नहीं कर पा रहीं। हालांकि इस समस्या का संबंध उनके करियर से भी है, परंतु फिलहाल यह निजी ज्यादा है। रणबीर से दीपिका का प्रेम संबंध किसी से छुपा नहीं है क्योंकि इन दिनों बॉलीवुड में इश्क को छुपाने का चलन नहीं है। वह खुले में है, तो सम्माननीय है। ऐसा माना जाने लगा है। लेकिन ऐसे में एक मुश्किल यह है कि जब कभी संबंध दरकते हैं या उनका ताप कम होता है, तो मीडिया में तीखा तडक़ा लगता है। अत: मीडिया का एक वर्ग यह बात तेजी से उछाल रहा है कि दीपिका के साथ नहीं, बल्कि बिपाशा के साथ रणबीर खूब जमे।दीपिका को एक और पाठ 'बचना ऐ हसीनो' की सीनियर को-स्टार बिपाशा बसु पढ़ा रही हैं। वे खुद सबसे कह रही हैं कि इस फिल्म में सबसे अच्छे मैं और रणबीर लगे हैं। ...इसका मतलब क्या? साफ है कि वे बातों-बातों मे अपने आप को दीपिका-मिनीषा से बढिय़ा बता रही हैं। बिपाशा इस खेल में माहिर हैं। 'अजनबी' से लेकर 'रेस' तक मल्टी-हीरोइनों वाली फिल्मों में वे यह खेलती रही हैं। यही नहीं, हाल के इंटरव्युओं में रणबीर ने साफ कहा है कि मैं शादी उसी लडक़ी से करूंगा, जिससे माता-पिता चाहेंगे। हालांकि इससे दीपिका के लिए उनके पे्रम को कम आंकना जल्दबाजी होगी। परंतु दीपिका के लिए जरूरी है कि वे को इस सिनेमाई दुनिया के खेल में बने रहने के नियम जितनी जल्दी हो सके, सीख ले। यदि दूसरी फिल्म के दौरान मिले सबक से वे कुछ सीख नहीं पाएंगी, तो लंबी रेस में कैसे बनी रह पाएंगी?

Friday, August 15, 2008

संदिग्ध शाहरुख!


वंशवृक्ष के हिसाब से तो वे पेशावर के पठान हैं, मगर अपने फिल्मी दोस्तों के बीच शाहरुख खान खुद को 'दिल्ली का गुंडा' बताते हैं। यह हंसी-मजाक में होता है। इसी हंसी-मजाक में ही उन्होंने कुछ समय पहले, आईपीएल क्रिकेट टूर्नामेंट में अपनी कोलकाता टीम का एक विज्ञापन बनवाया था। जिसमें उन्होंने अपने खिलाडिय़ों को 'गुंडा' बताया था। सवाल किया था कि कौन कराएगा इन विलेंस का मिलन? गौर करें कि इधर जाने-अनजाने ही शाहरुख की छवि बदल गई है। वे एक नर्मदिल प्रेमी, आज्ञाकारी और आदर्शवादी युवा के विपरीत आक्रामकता का दूसरा नाम हो गए हैं। चाहे संतोष धन को चुनौती देता हुआ '...और विश करो' का पाठ पढ़ाता शाहरुख हो या फिर 'ओम शांति ओम' की मार्केटिंग करता हुआ प्रोड्यूसर शाहरुख। अब शाहरुख घरेलू चेहरे के रूप में नजर नहीं आते, बल्कि उस बाजार के हिस्से के रूप में दिखते हैं जो आपके घर में आक्रामक ढंग से घुस कर हर पल जबर्दस्ती कुछ बेचना चाहता है। क्या शाहरुख ने अपनी 'जेंटिलमैन' छवि खो दी है? वह छवि, जिसमें बच्चों से बूढ़े तक सब उनको प्यार कर सकते हैं। उन पर भरोसा कर सकते हैं। कुछेक महीनों पहले तक शाहरुख बहुत ही विनम्र और घरेलू इनसान की तरह नजर आते थे। परंतु पिछले कुछ समय से शाहरुख की आक्रामकता उनकी इस छवि पर हावी हो गई है। अब वे उतने 'दिलवाले' नहीं दिखते जितने कभी नजर आया करते थे। चेहरा गवाही देता है! साफ हो चुका है कि शाहरुख की लोकप्रियता को पहले बाजार ने अपनाया, जैसा कि वह हर लोकप्रिय व्यक्ति को अपनाता है। मगर बाद में शाहरुख ने बाजार की आक्रामकता को अपना लिया। परंतु इस आदान-प्रदान से शाहरुख नुकसान में नजर आ रहे हैं। उनका भोलापन (जिसके लिए उन्हें लोगों ने 'डर' और 'बाजीगर' जैसी फिल्में करने के बावजूद प्यार दिया) खो गया है। उनकी घरेलू छवि खंडित हो रही है। नंबर 1 पर बने रहने की जिद में, खुद फिल्म इंडस्ट्री के कई लोगों के लिए वे संदिग्ध हो गए हैं। कभी उनकी छवि प्यार से बुजुर्गों को जीतने वाले युवा की थी (दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, परदेस, मोहब्बतें)। परंतु अब वे अमिताभ बच्चन के साथ अपने प्रतिद्वंद्विता के लिए याद किए जाते हैं। बिग बी जब आरोप लगाते हैं कि कोई उनके अनफॉरगेटेबल वल्र्ड टूर को नुकसान पहुंचाना चाहता है, तो उंगलियां शाहरुख की तरफ भी उठती हैं। सलमान खान ने कभी पुरान झगड़ा भूल कर शाहरुख को फराह खान की डांस पार्टी में गले लगाया था, परंतु सलमान की गर्लफ्रेंड कैटरीना की जन्मदिन पार्टी में सलमान से झगड़े में शाहरुख का नाम आता है। अक्षय कुमार जैसा ऐक्टर यह आरोप लगात है कि एक सीनियर अभिनेता उनके उठते करियर ग्राफ से जल कर उनके बारे में उल्टी सीधी अफवाहें फैला रहा है, तब इशारों में लोग इंडस्ट्री के 'बादशाह' की ओर संकेत करते हैं। शाहरुख की प्रोड्यूस की हुई फिल्म में जब पूरी इंडस्ट्री के सितारे नाचते हैं, तो ऋतिक रोशन खुद को दूर रखते हैं, तो इसके लिए अतीत की प्रतिद्विंद्विता के पन्ने सामने आते हैं। जिसमें शाहरुख के मन की कड़वाहट दबी है। यह आक्रामकता शाहरुख को कहां ले जाएगी... यह शाहरुख भी नहीं जानते। परंतु शाहरुख के लिए यह महत्वपूर्ण समय है कि वे खुद तय करें, इतिहास में वे कैसे याद किया जाना चाहते हैं? एक विनम्र, दिलदार, हर दिल अजीज चेहरा या फिर आक्रामक, बेचैन और गलाकाट प्रतिस्पद्र्धा में किसी का भी विश्वास हासिल न कर पाने वाला बाजार की ताकतों का मोहरा!

Thursday, August 14, 2008

सलमान एक शिकार हैं?


इन दिनों सलमान खान शहीदाना मुद्रा में हैं। मामला है शाहरुख खान के साथ उनके उस विवाद का, जो कैटरीना कैफ के जन्मदिन पर पिछले महीने हुआ था। तब से अब जाकर सलमान मीडिया के सामने आए हैं। उनकी फिल्म 'गॉड तुसी ग्रेट' हो शुक्रवार को रिलीज हो रही है। वे फिल्म के प्रमोशन की बातें करना चाहते हैं। परंतु मीडिया की मजबूरी है कि उसे हर छुपी चीज पर से परदा उठाना है। सो, मीडियावाले उनसे वह सब जानना चाहते हैं, जो कैटरीना की बर्थडे पार्टी में हुआ। जिसे कुछ आंखों ने ही देखा-सुना। जो बातें मीडिया में आईं, उनमें कहा गया कि गलती सलमान की थी। वे मेजबान थे और उन्होंने मेहमान से बदतमीजी की। बताया गया कि कैटरीना भी इस बात के लिए सलमान से नाराज हो गईं। जैसे जैसे कैटरीना की स्टार हैसियत बड़ी हो रही है, वैसे वैसे सलमान से उनकी दूरियां बढऩे की खबरें हैं। सलमान के लिए यह तनाव का कारण है।अब सलमान कह रहे हैं कि उन्होंने कभी मीडिया में अपना मुंह नहीं खोला और इसीलिए उनकी छवि गलत बनी है। शाहरुख से विवाद मामले में भी यही हुआ। सलमान का अप्रत्यक्ष आरोप है कि शाहरुख कैंप ने इस विवाद में उनके खिलाफ बातें फैलाई हैं। जबकि सच कुछ और है। उल्लेखनीय है कि दोनों सुपर सितारों के बीच विवाद के 2 कारण सामने आए हैं। एक तो यह कि शाहरुख ने सलमान की पुरानी पे्रमिका ऐश्वर्य पर कोई चुटकुला उछाल दिया था। दूसरे यह कि सलमान के टीवी पर चल रहे शो '10 का दम' पर किंग खान ने तीखा प्रहार किया था। बात चाहे जो हो, परंतु सलमान अपने तेवरों के मुताबिक भडक़ गए और तू-तू-मैं-मैं हो गई।सलमान अब जिस तरह की बात मीडिया में कर रहे हैं उससे साफ है कि वे खुद को 'शिकार' बता रहे हैं। अपनी साफगोई के मुताबिक उन्होंने कह दिया है कि इस बार जो मनमुटाव हुआ है, उसके बाद वे और शाहरुख आंख से आंख मिलाकर बात करने की स्थिति में नहीं हंै। यानी खानों के रिश्तों में उभर आई यह खाई अब पाटी नहीं जा पाएगी। सलमान के बयानों पर शाहरुख ने कुछ नहीं कहा है। परंतु सलमान ने यह साफ कह कर कि अब कभी रिश्ते नहीं सुधरेंगे, स्पष्ट कर दिया है कि शाहरुख की ओर से ऐसी कोई बात है जिसे वे माफ नहीं कर पाएंगे। ऐसे में शाहरुख भी चाहेंगे कि कठघरे में खड़े होने के बजाय अपना पक्ष सामने रखें। वर्ना यह सदा के लिए रहस्य ही रह जाएगा कि आखिर बात क्या थी और क्यों सलमान ने पार्टी में तथा उसके बाद भी आक्रामक रवैया अपनाए रखा? क्या सलमान बताना चाहते हैं कि जब तक वे चुप्पी साधे हैं, सबके चेहरों पर नकाब पड़े रहेंगे? परंतु शाहरुख क्यों चाहेंगे कि उनके दुश्मन को 'संदेह का लाभ' मिले। चाहे अप्रत्यक्ष रूप में सही। अत: उन्हें भी आज नहीं तो कल मुंह खोलना पड़ेगा। वैसे शाहरुख के खिलाफ एक बात इन दिनों जाती है। उन्होंने पिछले कुछ सालों में मीडिया का इस्तेमाल अपने पक्ष में करने से अधिक अपने विरोधियों को निपटाने में किया है। सलमान मामले में भी क्या उन्होंने ऐसा किया है? सलमान की छवि भले ही बिगड़ैल की हो, परंतु उम्र के चालीस पार दौर में उनका गुस्सा सिर्फ उनके खिलाफ रह गया है, जो उनसे आगे रह कर पंगा लेते हैं। इसमें संदेह नहीं। आखिर उन्हें दोस्तों का दोस्त कहने वाले भी तो कम नहीं!!