Thursday, October 21, 2010

टमाटर, पाक और नेताजी

लोग हैरान हैं। टमाटर तीस रुपये किलो!उस पर जो बाजार में है, उसका रंग-रूप देख कर उसे टमाटर कहने को जी नहीं चाहता। पर खाना है, तो ‘टमाटर’ कहना होगा।यूं कहना कि टमाटर के इतने महंगे होने के पीछे पाकिस्तान का हाथ है, हंसी उड़वाने जैसा है। हर करामात में पाकिस्तान का हाथ। यह जुमला बासी पड़ चुका है।ग्लोबल जमाने के समझदारों की राय है कि ऐसा कहना छोटापन है।लेकिन विश्वास कीजिए, टमाटर समस्या की यही हकीकत है।देश का ज्यादातर टमाटर इन दिनों पाकिस्तान के बाढग़्रस्त इलाकों (पाकिस्तानी पंजाब और खैबर) में जा रहा है क्योंकि वहां इसकी कीमत हमारे देश के मुकाबले बहुत ऊंची है।70 रुपये किलो...!तथ्य यह है कि भारत में दुनिया के मात्र 1 प्रतिशत टमाटर की पैदावार होती है और एशिया में टमाटर तथा प्याज की सबसे बड़ी मंडी महाराष्ट्र के पिंपलगांव में है। इन दिनों यहां से प्रतिदिन बमुश्किल 35 ट्रक टमाटर एशिया के सबसे बड़े फल और सब्जी बाजार, दिल्ली की आजादपुर मंडी में पहुंच रहे हैं। जबकि पिंपलगांव से हर चार में से एक ट्रक पाकिस्तान जा रहा है। अमृतसर के पास अटारी सीमा में रिकॉर्ड दर्ज है। हर दिन 135 ट्रकों से ज्यादा सीमा पार कर लाहौर जा रहे हैं। हर ट्रक में करीब 16 टन टमाटर लदा है। वैसे बात सिर्फ टमाटर की नहीं, अन्य सब्जियों और आलू-प्याज-चीनी तथा कपास की भी है, जो धड़ल्ले से सीमा पार भेजे जा रहे हैं।सरकार ने टमाटर और सब्जी के निर्यात मूल्य पर कोई नियंत्रण नहीं लगाया है। यह सिर्फ प्याज पर लागू है। सरकार को टमाटर के बढ़ते भाव की चिंता है, लगता नहीं। वह जानती है कि जनता को किसी भी कीमत पर जिंदा रहना है और वह रहेगी। खाद्यमंत्री कह चुके हैं कि बिना चीनी खाए लोग मर नहीं जाएंगे। वैसे ही बिना टमाटर के कौन प्राण निकल जाएंगे! ...और टमाटर खाकर किसको गाल सुर्ख बनाना हैं?
* * *
राष्ट्रमंडल खेलों के कारण दिल्ली से हकाला गया एक भिखारी पड़ोसी राज्य के नेताजी के दरवाजे पहुंचा और बोला, बाबा भूखे को कुछ खाने को दे दो...।सजे दरबार का आनंद ले रहे नेताजी ने कहा, ‘अबे भाग... टमाटर खा...’भिखारी बोला, ‘दे दो...बाबा... टमाटर भी चलेगा...’नेता जी इस बार फटकार कर बोले, ‘कहा ना भाग... टमाटर खा...’भिखारी टस से मस नहीं हुआ, तो नेताजी के कारिंदे ने भिखारी को एक लात जमाई और बोला, ‘साले... समझ नहीं आता... नेता जी ने बोला ना... कमाकर खा...’
* * *
नेताजी की जुबान में टेढ़ थी।जय हिंद।
* * *

No comments: